बुलिश फॉलिंग वेज चार्ट पैटर्न
बुलिश फॉलिंग वेज चार्ट पैटर्न एक प्रकार का रिवर्सल चार्ट पेटर्न है जब मार्केट ऊपर से नीचे की ओर गिरता है तब या पैटर्न बनता है इस पैटर्न में गिरावट के बाद 30 से 35% का रिट्रेसमेंट होता है उसके बाद फिर गिरावट आती है जो पिछले गिरावट के लो प्राइस को ब्रेकडाउन करके वापस रिट्रेसमेंट लेकर पिछले वाले हाई से कम का हाइ बनता है हर बार यह लो प्राइस को ब्रेकडाउन करके रिट्रेसमेंट ले लेता है और रिप्लेसमेंट का हाई पिछले वाले हाई से काम का बनता है इसी प्रकार मूवमेंट करते हुए एक नैरो रेंज क्रिएट करता है।
बुलिश फॉलिंग वेज चार्ट पैटर्न कैसे काम करता है?
1. इंडेक्स या स्टॉक के चार्ट में कंटीन्यूअस गिरावट के बाद 30 से 35 परसेंट का रिट्रेसमेंट होता है उसके बाद फिर गिरावट होती है उसके बाद फिर रिट्रेसमेंट होता है जो 25 से 30 परसेंट का होता है इसी प्रकार कुछ टाइम तक डाउन साइड में प्राइस लोअर लो और रिट्रेसमेंट साइड में हाई-लो प्राइस पर मोमेंट करता रहता है और एक नैरो रेंज क्रिएट कर लेता है। और अप साइड में ट्रेड लाइन को ब्रेकआउट करके ऊपर की ओर तेजी करने लगता है।
बुलिश फॉलिंग वेज चार्ट पैटर्न एंट्री कब करते हैं? टारगेट और स्टॉप लॉस कहां लगते हैं?
ऊपर दिए गए चार्ट में आप देख सकते हैं की बुलिश फीलिंग वेज पैटर्न में गिरावट के बाद 30 से 35% का रिप्लेसमेंट होता है उसके बाद फिर गिरावट होती है जो पिछले गिरावट के लो प्राइस को ब्रेकडाउन करके रिट्रेसमेंट ले लेता है और रिट्रेसमेंट के हाई प्राइस से कम का हाई प्राइस बनता है उसके बाद फिर गिरावट होती है जो पिछली गिरावट के प्राइस को ब्रेकडाउन करके फिर रिट्रेसमेंट कर लेता है इसी प्रकार हम रिट्रेसमेंट के हाई प्राइस को एक ट्रेंड लाइन द्वारा ड्रॉ कर लेते हैं और इसी प्रकार एक दूसरी ट्रेंड लाइन जो गिरावट के लोअर लो प्राइस में ड्रॉ कर लेते हैं जैसे ही प्राइस रिट्रेसमेंट के हाई प्राइस के ट्रेंड लाइन को ब्रेकआउट करके ऊपर की ओर तेजी करता है तो हम ब्रेकआउट पर एंट्री बना सकते हैं और हमारा स्टॉप लॉस गिरावट के लोअर लो प्राइस के ब्रेकडाउन पर रख सकते हैं।